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Training of the Day - 30.08.2017

दिनांक - 30.08.2017
दिन - बुधवार
स्थान - डायट शेखपुरा


प्रतिदिन की तरह चेतना सत्र के आयोजन के बाद प्रशिक्षण का प्रथम सत्र आरम्भ हुआ | व्याख्याता के रूप में सदन में संजीव सर का आगमन होता है और उनके द्वारा पिछली कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय समुदाय सहभागिता के बारे में हमें बताया गया कि विद्यालय एक ऐसी सामाजिक संस्था है जहाँ समयानुक्रम के व्यापक र्रोप से लक्ष्यों की प्राप्ति के उद्देश्य से सचेष्ट रूप से अधिगम अनुभव प्रदान किये जाते हैं | यह समाज की उपव्यवस्था के रूप में कार्य करता है और अपने निकटतम परिवेश से मिलकर कार्य करता है | विद्यालय और उसके निकटतम समुदाय के बीच का सम्बन्ध शिक्षा और समाज  के बीच के सम्बन्ध का वृहतर सामान सामान सम्बन्ध का अंग माना जा सकता है |
समुदाय का अभिप्राय एक ऐसे व्यापक समूह से है जो प्रयाप्त रूप में स्पष्ट सीमाओं में अवस्थित हो और सामाजिक आर्थिक एवं नागरिक क्रियाकलापों में एक-दूसरे से इस प्रकार जुड़ा हो कि उनमे इतना एकत्र उत्पन्न हो जाए कि एक समूह के रूप में पहचान बन सके |
विद्यालय और समुदाय में सम्बन्ध : समुदाय शिक्षा के एक अनौपचारिक अभिकरण के रूप में बालक के विकास और उसी शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | विद्यालय और समुदाय का पारिस्परिक सहयोग तथा भागीदारी से शिक्षा प्रक्रिया अत्यधिक त्वरित होती है | विद्यालय समुदाय एक ऐसी संस्था है, जिसके द्वारा समुदाय बच्चों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करता है | विद्यालय अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समुदाय के साथ घनिष्ट सम्बन्ध रखते हुए कार्य करता है | उदाहरण के तौर पर ग्रामीण विद्यालय गांव के किसों की कृषि ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं | और ग्रामीण विद्यालय अपनी ओर से उन्हें कृषि में नवीनतम परिवर्तनों से अवगत करा सकता हैं | अभिभावक, विद्यालय और समुदाय के बीच एक कड़ी का कार्य करता है | एक विद्यालय को समुदाय की अपेक्षाओं से अवगत करा सकते हैं और विद्यालय भी उनके माध्यम से अपनी बातों को समुदाय तक पहुंचा सकता है |
इसके बाद हमें एक प्रश्न दिया जाता है - समुदाय विद्यालय को किस प्रकार से सहयोग कर सकता है ?
इस प्रश्न का उत्तर भी हम सभी प्रशिक्षुओं को लिखाया जाता है, जिसमे विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है | इसके साथ प्रथम सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |
मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण आरम्भ होता है | सदन में महेश सर का आगमन होता है और उनके द्वारा पिछले कक्षा में भाषा सीखना पर विभिन्न विचारकों द्वारा दिए गए विचार की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज विचारक वाईगोस्की के विचार पर विस्तार से चर्चा की गयी | जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बच्चों में भाषा सीखने का दो तरीके होते है | एक तो बच्चे आत्मसात कर अपने आप खुद से सीखते है और दुसरा वे समाज रहकर उनका अनुकरण कर सीखते हैं |

इसके साथ द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो गया |

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