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Training of the Day - 29.08.2017

दिंनाक - 29.08.2017
दिन - मंगलवार
स्थान - डायट परिसर शेखपुरा



सप्ताह के दूसरे दिन मंगलवार को चेतना सत्र के आयोजन के बाद प्रशिक्षण की शुरुआत हुई | प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में सदन में सुनील सर का आगमन होता है और उनके द्वारा समझ-समझदारी के बारे में बताते हुए E L P S के बारे में बताया गया -
E L P S          अ भा चि प्र
Experience      अनुभव
Language    भाषा
Picture        चित्र
Sybol         प्रतीक

इसके बाद पिछले कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए सर के द्वारा वृत्त का क्षेत्रफल त्रिभुज के क्षेत्रफल के द्वारा प्रमाणित करने का तरीका बताया गया | इसके बाद हमें आयत के क्षेत्रफल को भी त्रिभुज के क्षेत्रफल के द्वारा प्रमाणित कर बताया गया | इसके बाद क्षेत्र का unit वर्ग में होने का कारण भी हमें समझाया गया |
इसके बाद हमारे सामने काफी रोचक एवं कठिन गतिवीधि सामने आती है | जिसमे हम सभी प्रशिक्षुओं को बाएं हाथ से लिखने के लिए कुछ वाक्य दिए जाते है | जिसे कुछ प्रशिक्षु लिख पाते है और कुछ नहीं | इस पर सर के द्वारा बताया जाता कि जिस तरह हमें अभ्यास नहीं रहने के कारण कठिनाई होती है, उसी प्रकार बच्चे को भी कठिनाई होती है और हमें उन कठिनाइयों को बच्चे के साथ मिलकर दूर करना है | इसके बाद मनोग्यानात्मक कौशल की चर्चा करते हुए उसके दो भागों स्थूल गत्यात्मक कौशल और सूक्ष्म गत्यात्मक कौशल के बारे में बताया जाता है | जहाँ स्थूल गत्यात्मक कौशल में नृत्य, उछलना, कूदना, चलना शामिल है, वहीँ सूक्ष्म गत्यात्मक कौशल में लिखना, सिलाई करना, craft सम्बन्धी कार्य शामिल है |  इसके साथ प्रथम सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो गया |
मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण आरम्भ होता है | सदन में महेश सर का आगमन होता है और उनके द्वारा पिछले कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया जाता है और उनके द्वारा भाषा सीखने में जीन प्याजे(1896-1980) के विचार के बारे में चर्चा की जाती है | जिसमे यह स्पष्ट किया जाता है कि बच्चे किस चीज को देखकर उसका नक़ल करते हैं, वह अनुकरण कहलाती है | चितन की प्रक्रिया बच्चों में होती है | जिसमे आत्मसातीकरण, समायोजन, आधारभूत, अन्तः क्रिया, जन्मजात, परिवेश इत्यादि बाते उभर कर सामने आती है | जिस पर सदन में चर्चा की जाती है |  और यह सामने आता है - बच्चे के मन मस्तिष्क में किसी वस्तु को देखकर या आवाज के माध्यम से जो छवि बनाता है, वह स्कीमा कहलाता है | इसके साथ द्वीतीय सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |

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