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Training of the Day - 23.08.2017

दिनांक - 23.08.2017
दिन - बुधवार
स्थान - डायट परिसर शेखपुरा


घडी की छोटी सुई जैसे ही 10 और बड़ी सुई 12 पर पहुंची, चेतना सत्र आरम्भ किया गया | चेतना सत्र के संपन्न होने के बाद प्रशिक्षण के प्रथम सत्र की शुरुआत हुई | सदन में व्याख्याता के रूप में संजीव सर का आगमन हुआ | उनके द्वारा सर्वप्रथम SEP (SCHOOL EXPERIENCE PROGRAMME) के बारे में विस्तार से हम सभी प्रशिक्षुओ को बताया गया | इसके बाद विषयवस्तु पर आते हुए पिछली कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय के वित्त संसाधन की चर्चा की गयी | जिससे हमें पता चला कि SMG - SCHOOL MAINTAINANCE GRANT के मद में 7500 रू० और SDG - SCHOOL DEVELOPMENT GRANT के मद में 12000 रु० प्राप्त होती है | इसके अतिरिक्त TLM- TEACHER LEARING METRAIAL के मद में 500/- रु० प्रति शिक्षक के रूप में प्राप्त होता है | इसके अतिरिक्त पोशाक राशि में कक्षा एक से दो तक 400/- रु० , तीन से पांच तक 500/- रु० और कक्षा सात से आठ तक 700/- रु० प्रति बच्चे की दर से भी प्राप्त होता है | वहीँ छात्रवृति राशि के रूप में कक्षा के रूप में कक्षा एक से चार तक 600/- रु० , पांच से छः तक 1200/- रु० और कक्षा सात से आठ तक 1800/- रु० प्रति बच्चे की दर से भी प्राप्त होता है | इनके अतिरिक्त परिभ्रमण के लिए मध्य विद्यालयों में 20000/- रूपये, सेनेटरी-नेपकिन के लिए कक्षा सात एवं आठ की छात्राओं के लिए 150/- रूपये प्रति छात्रा राशि प्राप्त होती है | वहीँ मध्याहन भोजन की राशि कक्षा एक से पांच तक 4.13 रु० प्रति बच्चे एवं कक्षा छः से आठ तक 6.18 रु० प्रति बच्चे की दर से प्राप्त होती है | साथ ही खाना बनाने वाली रसोइया को साल में कुल दस माह के लिए प्रति माह 1250/- की दर से भी राशि प्राप्त होती है | इसके अतिरिक्त समय-समय पर डेस्क-बेंच, पुस्तकें, बिहार दिवस के लिए राशि प्राप्त होती है |
इसके बाद आगे की ओर बढते हुए निर्धारित मानकों की समझ पर संक्षिप्त रूप से चर्चा की गयी |

इसके बाद सदन में सच्चिदानंद सर का आगमन होता है और उनके द्वारा पिछली कक्षा के प्रक्षिक्षण को आगे बढ़ाया जाता है | जैसा कि उनके द्वारा हम सभी प्रशिक्षुओं के एक गृह कार्य दिया गया था जिसमे हमें बच्चों से सम्बंधित कवितायें तैयार कर सुनना था | इस पर सदन से कई प्रतिभागियों के बढ़-चढ कर हिस्सा लिया | साथी प्रशिक्षुओं द्वारा प्रस्तुत कविताओं ने अन्य प्रशिक्षुओं को नई कविताओं के संग्रह का अवसर प्रदान किया | लेकिन इन कविताओं के वाचन में आये ट्विस्ट ने सदन के माहौल को काफी रुचिकर बना दिया | दरअसल प्रतिभागियों के द्वारा कविता के वाचन के उपरांत उस कविता से सम्बंधित प्रश्न सदन के अन्य प्रशिक्षुओं के द्वारा पूछा जा रहा था, जिसमे कई प्रशिक्षु आसानी से जबाब दे रहे थे, तो कई प्रशिक्षु उन प्रश्नों के जाल में फंस भी रहे थे | इस गतिविधि से हमें इस बात का आभास हो गया कि यदि कक्षा को रुचिकर बनाना है, तो हमें इस तरह के क्रियाकलाप हमेशा अपनी कक्षाओं में करते रहना होगा| तभी बच्चे रूचि लेकर कक्षा में बने रहेंगे और सीखने की प्रक्रिया में भागीदार बनेगे | लेकिन सिर्फ कविताओं से सदन का माहौल शांत होने वाला नहीं था, कविताओं के समापन के बाद तुरंत ही पहेलियों के खेल ने सदन के माहौल को फिर से रुचिकर बना दिया | सदन में मौजूद साथी प्रशिक्षुओं द्वारा बारी-बारी से पहेलियों को पूछा, जिसका उत्तर सदन से अन्य प्रशिक्षुओं द्वारा दिया गया | इसके साथ प्रथम सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हुआ |
मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण आरम्भ हुआ और सदन में व्याख्याता के रूप में खुश्नुशुद सर का आगमन होता है और उनके द्वारा गणित की प्रशिक्षण आरम्भ करते हुए गणित की प्रकृति के बारे में बताया जाता है | शिक्षक और छात्र के बीच की दूरी के बारे में बताते हुए हमें बताया जाता है कि यदि छात्रों की जिज्ञासा का समाधान किया जाए तो इस दूरी के काफी हद तक घटाया जा सकता है | इसके बाद तार्किकता की चर्चा करते हुए इसे दो भागों - आगनात्मक तर्क और निगनात्मक तर्क के बारे में बताया जाता है | अगनात्मक के उदारहण स्वरूप * दो विषम संख्याओं का योग सम संख्या होती है : 3+3=6 7+7=14 5+7=12
निगनात्मक के उदहारण स्वरुप - माना कि एक विषम संख्या 2X+1
माना कि दूसरी विषम संख्या - 2Y+1
जहाँ X, Y प्राकृत संख्याएँ है |
दोनों विषम संख्याओं का योग - (2X+1) + (2Y+1) = 2X+1+2Y+1 = 2X+2Y+2
2(X+Y+1)
2Z (जहाँ X+Y+1= Z जो एक प्राकृत संख्या है )
= सम संख्या

इसके साथ आज का प्रशिक्षण समाप्त हुआ |

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