सार - 29.07.2017
दिनांक - 29.07.2017
दिन - शनिवार
स्थान - डायट परिसर शेखपुरा
सप्ताह के अंतिम दिन प्रतिदिन की तरह चेतना सत्र के आयोजन के बाद प्रशिक्षण के पहला सत्र आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में सच्चिदानंद सर का आगमन होता है और उनके द्वारा "हिंदी के शिक्षणशास्त्र" विषय की चर्चा करते हुए बहुभाषिकता के बारे में हमें बताया जाता है | सदन के एक प्रशिक्षु द्वारा इसका पाठन किया जाता है जिसमे हिन्ढी भाषा में व्याकरण का महत्व की जानकारी दी जाती है और नए बच्चों के साथ इसका कैसे प्रयोग किया जाए, इसके बारे में भी परिचर्चा की गयी | इन्ही बातों की चर्चा के क्रम में आगमन और निगमन विधि आता है | जिसमे यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी की परिभाषा देकर उसे समझना निगमन विधि और किसी को प्रयोग कर परिभाषित करना आगमन विधि है |
इसी बीच हिंदी में व्याकरण की चर्चा के क्रम में कहावत और मुहावरा में अंतर का प्रश्न हम सभी प्रशिक्षुओं के सामने आता है | जिसमे यह स्पष्ट होता है - कहावत क्षेत्रीय भाषा में होती है और मुहावरा व्याकरणीय भाषा में | इसके बाद नवाचार शब्द का भी अर्थ स्पष्ट किया जाता है - अपने द्वारा सिखाने की प्रक्रिया में नए प्रयोग का सृजन करना |
पाठन के क्रम में एक वाक्य आता है - जिसमे पिता के साथ जी का प्रयोग एवं माँ के साथ जी का प्रयोग नहीं किया जाता है | इस पर चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया जाता है कि माँ के साथ बच्चे बहुत नजदीक एवं प्रेम व्यवहार से रहते है, इस कारण माँ के साथ जी का प्रयोग नहीं करते है | वहीँ एक प्रतिभागी के अनुसार बच्चों को परंपरा के अनुसार यह सिखाया जाता है कि पिता के साथ जी का प्रयोग करे और माँ के साथ नहीं | इसके बाद सच्चिदानंद सर द्वारा दिया जा रहा प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |
इसके बाद सदन में व्याख्याता के रूप में संजीव सर आगमन होता है | उनके द्वारा पिछले कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय संगठन के अंग के बारे में बताया जाता है | विद्यालय संगठन के अंग निम्न है -
1.शिक्षार्थी
2. अध्यापकगण
3. प्रधानाध्यापक
4. अभिभावक
5. विद्यालय शिक्षा समिति
6. समुदाय
7. गैर शैक्षिक कर्मी
8. शैक्षिक संस्थाएं
विद्यालय के इन सभी अंगों पर विस्तार से चर्चा की जाती है | जिससे हमें ये पाता चलता है कि विद्यालय शिक्षा समिति अपने अन्य कार्यों के साथ विद्यालय के कार्य-योजना का भी निर्माण करती है | वहीँ अभिभावकों की बैठक प्रति शनिवार को (एक शनिवार को एक कक्षा के अभिभावक) विद्यालय क्रमानुसार होती है | शैक्षिक संस्थाएं के बारे में चर्चा करते हुए उसके दो भागों प्रशासनिक और आकादमिक के बारे में भी हमें बताया जाता है |
(Note - बिहार में RTE 12 मई 2011 को लागू किया गया था |
इसके बाद हमारे सामने एक प्रश्न आता है - खंडित ढांचा और पिरामिड ढांचा
जिसमे यह स्पष्ट किया जाता है कि खंडित ढांचा शिक्षा प्रणाली का प्रयोग किया जाता है अर्थात यहाँ प्राईमरी, मिडल, और उच्च विद्यालय की अलग-अलग शिक्षा की व्यवस्था है | जबकि पिरामिड ढांचा जो मध्य प्रदेश में लागु है, जिसमे कक्षा 1 से लेकर 12 तक की पढाई एक ही जगह होती है |
इसके साथ ही प्रथम सत्र के प्रशिक्षण की समाप्ति हो जाती है |
भीषण गर्मी के बीच मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण आरम्भ होता है | सदन में पंकज सर का आगमन होता है और उनके द्वारा Language की जानकारी देते हुए TLP (Teacher Learning Process) पर विस्तार से चर्चा की जाती है | जिसमे Objective और Instruction पर विशेष चर्चा की जाती है | इसके साथ प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |
दिन - शनिवार
स्थान - डायट परिसर शेखपुरा
सप्ताह के अंतिम दिन प्रतिदिन की तरह चेतना सत्र के आयोजन के बाद प्रशिक्षण के पहला सत्र आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में सच्चिदानंद सर का आगमन होता है और उनके द्वारा "हिंदी के शिक्षणशास्त्र" विषय की चर्चा करते हुए बहुभाषिकता के बारे में हमें बताया जाता है | सदन के एक प्रशिक्षु द्वारा इसका पाठन किया जाता है जिसमे हिन्ढी भाषा में व्याकरण का महत्व की जानकारी दी जाती है और नए बच्चों के साथ इसका कैसे प्रयोग किया जाए, इसके बारे में भी परिचर्चा की गयी | इन्ही बातों की चर्चा के क्रम में आगमन और निगमन विधि आता है | जिसमे यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी की परिभाषा देकर उसे समझना निगमन विधि और किसी को प्रयोग कर परिभाषित करना आगमन विधि है |
इसी बीच हिंदी में व्याकरण की चर्चा के क्रम में कहावत और मुहावरा में अंतर का प्रश्न हम सभी प्रशिक्षुओं के सामने आता है | जिसमे यह स्पष्ट होता है - कहावत क्षेत्रीय भाषा में होती है और मुहावरा व्याकरणीय भाषा में | इसके बाद नवाचार शब्द का भी अर्थ स्पष्ट किया जाता है - अपने द्वारा सिखाने की प्रक्रिया में नए प्रयोग का सृजन करना |
पाठन के क्रम में एक वाक्य आता है - जिसमे पिता के साथ जी का प्रयोग एवं माँ के साथ जी का प्रयोग नहीं किया जाता है | इस पर चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया जाता है कि माँ के साथ बच्चे बहुत नजदीक एवं प्रेम व्यवहार से रहते है, इस कारण माँ के साथ जी का प्रयोग नहीं करते है | वहीँ एक प्रतिभागी के अनुसार बच्चों को परंपरा के अनुसार यह सिखाया जाता है कि पिता के साथ जी का प्रयोग करे और माँ के साथ नहीं | इसके बाद सच्चिदानंद सर द्वारा दिया जा रहा प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |
इसके बाद सदन में व्याख्याता के रूप में संजीव सर आगमन होता है | उनके द्वारा पिछले कक्षा के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय संगठन के अंग के बारे में बताया जाता है | विद्यालय संगठन के अंग निम्न है -
1.शिक्षार्थी
2. अध्यापकगण
3. प्रधानाध्यापक
4. अभिभावक
5. विद्यालय शिक्षा समिति
6. समुदाय
7. गैर शैक्षिक कर्मी
8. शैक्षिक संस्थाएं
विद्यालय के इन सभी अंगों पर विस्तार से चर्चा की जाती है | जिससे हमें ये पाता चलता है कि विद्यालय शिक्षा समिति अपने अन्य कार्यों के साथ विद्यालय के कार्य-योजना का भी निर्माण करती है | वहीँ अभिभावकों की बैठक प्रति शनिवार को (एक शनिवार को एक कक्षा के अभिभावक) विद्यालय क्रमानुसार होती है | शैक्षिक संस्थाएं के बारे में चर्चा करते हुए उसके दो भागों प्रशासनिक और आकादमिक के बारे में भी हमें बताया जाता है |
(Note - बिहार में RTE 12 मई 2011 को लागू किया गया था |
इसके बाद हमारे सामने एक प्रश्न आता है - खंडित ढांचा और पिरामिड ढांचा
जिसमे यह स्पष्ट किया जाता है कि खंडित ढांचा शिक्षा प्रणाली का प्रयोग किया जाता है अर्थात यहाँ प्राईमरी, मिडल, और उच्च विद्यालय की अलग-अलग शिक्षा की व्यवस्था है | जबकि पिरामिड ढांचा जो मध्य प्रदेश में लागु है, जिसमे कक्षा 1 से लेकर 12 तक की पढाई एक ही जगह होती है |
इसके साथ ही प्रथम सत्र के प्रशिक्षण की समाप्ति हो जाती है |
भीषण गर्मी के बीच मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण आरम्भ होता है | सदन में पंकज सर का आगमन होता है और उनके द्वारा Language की जानकारी देते हुए TLP (Teacher Learning Process) पर विस्तार से चर्चा की जाती है | जिसमे Objective और Instruction पर विशेष चर्चा की जाती है | इसके साथ प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |
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