Header Ads

सार - 26.07.2017

दिनांक - 26.07.2017
दिन - बुधवार
स्थान- डायट शेखपुरा


सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को प्रतिदिन की तरह चेतना सत्र का आयोजन के बाद प्रशिक्षण का प्रथम सत्र आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में संजीव सर का आगमन होता है | उनके द्वारा  'विद्यालय संगठन की समझ' के बारे में बताया जाता है | जिसके अंतर्गत विद्यालय संगठन, विद्यालय विकास की योजना के विभिन्न आयाम एवं विद्यालय समुदाय सहभागिता के बारे में हमें बताया जाता है |

संगठन की चर्चा करते हुए उसके विभिन्न स्वरूपों की जानकारी दी जाती है -

इसके बाद हमारे सामने प्रश्न आता है विद्यालय क्या है ?
इसकी चर्चा करते हुए हमें बताया जाता है कि विद्यालय एक अन्तःक्रियात्मक भौतिक स्थल है, जिसे मौलिक रूप से अधिगम प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए निर्मित किया गया है | यह समाज का औपचारिक अधिगम केंद्र है, जहाँ बच्चों की उद्देश्य परक, पाठ्यचर्या के रूप में लक्ष्यपूर्ण शिक्षा देने का निरंतर कार्यक्रम चलता है |
विद्यालय ऐसा स्थान है, जहाँ भावी नागरिकों के मन ढाले जाते हैं तथा राष्ट्र के भावी निर्माताओं की आदतों तथा दृष्टिकोणों का निर्माण किया जाता है |

इसके बाद व्याख्याता के रूप में महेश सर का आगमन होता है और उनके द्वारा 'भाषा और शिक्षा' विषयवस्तु पर आते हुए कई दोहों के माध्यम से हमें शिक्षा एवं जीवन के लक्ष्यों की ओर केंद्रित किया | रहीम के दोहे -
"रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून |
पानी बिन न उबरे, मोती मानस चुन |
               -:रहीम:-
इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन रूपों में प्रयोग किया | पानी का पहला अर्थ मनुष्य के सन्दर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है | रहीम कह रहें है कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता(पानी) होनी चाहिए | पानी का दूसरा अर्थ 'आभा', तेज चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं होता है | पानी का तीसरा अर्थ जल से है | जिसे आटे (चुन) के जोड़कर दर्शाया गया है | रहीम ने कहा है कि जिस तरह पानी के बिना आटे का अस्तित्व नहीं हो सकता, उस तरह मनुष्य को भी विनम्रता रखनी चाहिए जिसके बिना उनका मूल्यह्रास होता है |

इसी बीच एक प्रशिक्षु द्वारा एक दोहा आया
'सारंग एनी सारंग बैनी ले चली चली सारंग सारंग को
सारंग सारंग भेट हुई चुचकारत सारंग-सारंग को ||

इसके बाद सर के द्वारा कुछ नया दोहे भी बताये गए
"पाप करे तुलसी कबहू न तरे हरि के गुण गाये
अमृत पान करे सो मेरे कबहू न मेरे विषपान कराये ||
मीन मेरे गहरे जल में कबहू न, मेरे जलते बिरगार
नारी सुख परदेश पिया कबहू न, सुखी वह अंग लगाये ||

इसके साथ प्रथम सत्र के प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |

मध्याहन के बाद प्रशिक्षण का द्वितीय सत्र आरम्भ होता है | इस बार व्याख्याता के रूप में सुनील सर का आगमन होता है और उनके द्वारा हम सभी प्रशिक्षुओं के एक गणित का कार्य दिया जाता है |

1 से 9 तक की संख्याओं के द्वारा किसी भी दो गणितीय संक्रियाओं का प्रयोग करते हुए 24 लाना है |
इस प्रश्न के अधिक से अधिक उत्तर तैयार करने में हम सारे प्रशिक्षु ध्यानपूर्वक लग गए | इसके बाद सभी प्रशिक्षुओं बारी-बारी से श्यामपट्ट पर अपने-अपने गणितीय संक्रिया को हम सभी प्रशिक्षुओं के सामने रखते है | उनमे से कुछ निम्न है -
5 x 5 - 1 = 24
(4 + 2) x 6 = 24
(6+6) x 2 = 24

इसके बाद सर के द्वारा विकास की परिभाषा हम सभी प्रशिक्षुओं को लिखाया जाता है -
'बालकों में होने वाले क्रमिक तहत संगत परिवर्तनों के उतरोत्तर को विकास कहा जाता है |'

वृद्धि एवं विकास में अंतर बताते हुए हमें IQ का फार्मूला एवं इसके परिणाम टेबल के बारे में भी हमें बताया जाता है |



बुद्धि लब्धि के मान
अर्थ
140 या इससे अधिक
प्रतिभाशाली
120 से 139 तक
अतिश्रेष्ठ
110 से 119 तक
श्रेष्ठ
90 से 109 तक
सामान्य
80 से 89 तक
मंद
70 से 79 तक
सीमान्त मंद बुद्धि
60 से 69 तक
मूढ़ बुद्धि
20 से 59 तक
हीन बुद्धि
20 या इससे कम
जड़ बुद्धि

वृद्धि एवं विकास की तुलना करते हुए बताया जाता है कि
* विकास का प्रारंभ वृद्धि से पहले होता है |
* वृद्धि केवल परिपक्वता स्थिति होती है, परन्तु विकास जीवन पर्यंत चलता रहता है |
*वृद्धि से संरचना में परिवर्तन का बोध होता है, जबकि विकास से प्रक्रायों में परिवर्तन का बोध होता है |
* वृद्धि में परिवर्तन केवल रचनात्मक होते हैं, जबकि विकास में परिवर्तन रचनात्मक एवं विनाशात्मक भी होते है |

इसके बाद द्वितीय सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |

No comments

Powered by Blogger.