Header Ads

सार - 18.07.2017

दिनांक- 18.07.2017
दिन- मंगलवार
स्थान - डायट शेखपुरा


प्रतिदिन की भांति चेतना सत्र के बाद प्रशिक्षण का प्रथम सत्र आरम्भ हुआ | व्याख्याता के रूप में विद्यानंद सर सदन में प्रवेश किये |

सत्र
मौनं सर्वार्थ साधनं ।।
                
              (नीतिशतक)
    
प्रशिक्षण आगे बढ़ा और सरकारी विद्यालय पर परिचर्चा आरम्भ हुई | जिसमे विभिन्न प्रकार के सरकारी विद्यालयों के बारे में बताया गया | जैसे

1. बहुउद्देशीय विद्यालय
2. बुनयादी विद्यालय
3. संस्कृत विद्यालय
4. प्रोजेक्ट कन्या विद्यालय
5. राजकीय विद्यालय

6.राजकृत विद्यालय

7. राजकीय मध्य विद्यालय
8. राजकीय मदरसा

9. राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय

10. राजकीय कन्या मध्य विद्यालय

11. केंद्रीय विद्यालय

12. नवोदय विद्यालय

13. Sarwoday विद्यालय

14. अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति आवासीय कल्याण विद्यालय

15. सैनिक विद्यालय

16. नेतरहाट आवासीय विद्यालय
17. सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय

18. अल्पसंख्यक विद्यालय

19. कस्तूरबा आवासीय विद्यालय

20 . एकल विद्यालय
21. मॉडल विद्यालय
22. अभ्यास मध्य विद्यालय

23. चरवाहा विद्यालय
24. कुस्ती विद्यालय

इसके बाद सदन में व्याख्याता बालदेव सर का आगमन होता है और उनके द्वारा F1. शिक्षा के परिप्रेक्ष्य
 पेपर के Socialization (समाजीकरण) विषय पर चर्चा की जाती है और विभिन्न विचारकों के द्वारा समाजीकरण की परिभाषा के बारे में बताया जाता है

* जैम्स ड्रेवर के अनुसार - समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा वक़्क्ति अपने सामाजिक परिवेश में समायोजन करता है तथा उस परिवेश का एक मान्य सहयोगी एवम् छमतावाण सदस्य बन जाता है|

* हरिका हसर्ट एवम् न्यूगारटेन के अनुसार - समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिस से बच्चे अपने समाज के तौर - तरीके को सीखते है और उन्हें अपने वक़्क्ति का अंग बना लेते है।
*
हैरी एम् जॉनसन के अनुसार - समाजीकरण अधिगम की एक प्रक्रिया है जो अध्येता को सामाजिक भूमिकाओं के निर्वहन के योग्य बनाते है।


characteristics of socialization( समाजीकरण के अभिलक्षण)

*socialization is a continuous process

*socialization is a changing process

*socialization is always positive

*socialization is co- operative

*socialization is universal

* socialization is speed variation

इसके साथ ही प्रथम सत्र की समाप्ति हो जाती है | मध्याहन के पश्चात द्वितीय सत्र आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में महेश सर का आगमन होता है और उनके द्वारा 'भाषा और शिक्षा' विषय का प्रशिक्षण आरम्भ किया जाता है |
रहीम का एक दोहा हम सभी प्रशीक्षुओं को दिया जाता है -
"रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन का फेर
जब नीको दिन अइये, वक्त न लगिये देर ||

अर्थात जब बुरा समय आता हो तो हमें चुपचाप रहना चाहिए, अच्छे समय के आने का इंतज़ार करना चाहिए | जैसे ही अच्छा समय आता है, सभी चीजे अपने-अपने आप सही हो जाती है |"

इस दोहे साथ सर के द्वारा रहीम के इतिहास के साथ अकबर और बीरबर के कुछ प्रसंग हमें बताये जाते हैं | इसके बाद हमारे सामने एक प्रश्न आता है - "भाषा क्या है?"
 भाषा - विचारों की अभिव्यक्ति के लिए किसी सामान द्वारा स्वीकृत जिन ध्वनि संकेतों का व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते हैं | इसके बाद सर के द्वारा विभिन्न विचारकों के द्वारा भाषा के सन्दर्भ में दी गयी परिभाषा हमें लिखाया जाता है |
-:भाषा समझ तथा सम्प्रेषण के माध्यम के रूप में :-
1. मूर्त अनुभव
2. ठोस अनुभव
3. अमूर्त संकल्पनाएँ
4. सामान्यकृत संकल्पनाएँ

इसके साथ ही प्रशिक्षण सत्र का द्वितीय सत्र समाप्त हो जाता है |

No comments

Powered by Blogger.