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सार-15.07.2017

दिनांक - 15.07.2017
दिन- शनिवार
स्थान - डायट शेखपुरा


सप्ताह में अंतिम दिन शनिवार को प्रतिदिन की तरह चेतना सत्र का आयोजन किया गया | चेतना सत्र के बाद प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ | व्याख्याता के रूप में सदन में संजीव सर का आगमन हुआ | और उनके द्वारा प्रशिक्षण शुरू किया गया |

आज का विषय था - शिक्षा का अधिकार एक दृष्टि में

इस विषय की चर्चा करते हुए कुल आठ बिंदुओं को लिखाया गया और उन बिन्दुओं को स्पष्ट भी किया गया |
1. विद्यालय की सुविधा : इसमें स्थानीय प्राधिकार एवं विद्यालय में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का विवरण संधारण, प्रत्येक गांव/टोला में 1 km के भीतर प्राथमिक विद्यालय और 3 km के भीतर मध्य विद्यालय की व्यवस्था, आवश्यकतानुसार बच्चों को वाहन की व्यवस्था, उनके सुरक्षा पर धयान एवं निःशक्त बच्चों को उपकरण की व्यवस्था के बारे में बताया गया |
2. विद्यालय में नामांकन : इसमें विद्यालय में नामांकन बिना प्रवेश प्रमाण पत्र के, उम्र के अनुसार कक्षा में नामांकन, देर से नामांकन को विशेष पढाई, शिक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं, स्क्रीनिग टेस्ट नहीं, डोनेशन नहीं, 30 सितम्बर तक नामांकन के सुविधा, नामांकन को सार्वजानिक करना, मान्यता प्राप्त विद्यालय में कक्षा प्रथम में 25% सीटों पर अभिवंचित वर्ग के बच्चों का नामांकन आदि है |
3.प्रोत्साहन : इसमें निःशुल्क पाठयपुस्तक, कार्यपुस्तिका, स्टेशनरी, पोशाक, छात्रवृति की व्यवस्था है |
4. शिक्षक : इसमें बताया गया कि बच्चों को शाररिक दंड नहीं, भेदभाव नहीं, 35 पर एक शिक्षक की व्यवस्था, शिक्षकों द्वारा प्राइवेट ट्यूशन नहीं, गैर शैक्षणिक कार्य नहीं, प्रगति पत्रक संधारण, सतत एवं व्यापक मूल्यांकन है |
5. भौतिक सुविधाएँ : इसमें विद्यालय में भौतिक सुविधा की जानकारी दी गयी है| जैसे सभी मौसम में पढाई लायक भवन, छात्र-छात्रा के अलग-अलग शौचालय, खेल का मैदान, रसोईघर, स्वच्छ पीने का  पानी इत्यादि |
6. विद्यालय प्रबंधन : इसमें विद्यालय को पुरे वर्ष में 200/220 दिन संचालन, विद्यालय भवन का गलत उपयोग नहीं, छात्रों का नाम नहीं काटना, आवश्यकता पड़ने पर छात्रों को स्थानान्तरण पत्र निर्गत, पढाई पूरी होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र देना आदि है |
7. पाठ्यक्रम : इसमें निधारित पाठ्यचर्या एवं पाठ्यक्रम के अनुसार पढाई, विद्यालय में संवैधानिक मूल्यों का अनुपालन के बारे में बताया गया |
8. विद्यालय शिक्षा समिति : इसमें VSS के गठन, उनका नियमानुसार कार्य करना, विद्यालय विकास योजना तैयार करना, विद्यालय क्रियाकलापों का अनुश्रवण आदि है |

इसके साथ प्रथम सत्र की समाप्ति हो जाती है |

मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में परशुराम सर का आगमन होगा है | उनके द्वारा पूर्व में दिए गए एक प्रश्न पर परिचर्चा की जाती है |
प्रश्न था - बच्चे के अधिगम में पर्यावरण का क्या महत्व है ?
इस प्रश्न पर सदन में मौजूद प्रशिक्षुओं द्वारा बारी-बारी से अपने विचार रखे जाते हैं |

प्रशिक्षण आगे बढ़ता है और सर के द्वारा पर्यावरण के पक्ष के बारे में जानकारी दी जाती है | और बताया जाता है कि पर्यावरण के दो पक्ष होते है - प्राकृतिक, मानव निर्मित और सामाजिक-सांस्कृतिक
प्राकृतिक के भी दो भाग- जैव और अजैव | जैव में जीव-जंतु आते है और अजैव में पानी, हवा, जल इत्यादि |
मानव नीर्मित में कुर्सी, बेंच, डेस्क, टीवी, मोबाइल इत्यादि |
सामाजिक-सांस्कृतिक में हमारा रहन-सहन आता है |
इसके बाद पर्यावरण अध्ययन के उद्देश्य के मुख्य बिन्दुओं हम सभी नोट्स के रूप के लिखते हैं |

इसके बाद कक्षा समाप्ति की घोषणा हो जाती है |

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