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सार - 03.08.2017


दिनांक - 03.08.2017
दिन - गुरुवार
स्थान - डायट शेखपुरा


सप्ताह के चौथे दिन गुरुवार को अन्य दिनों की तरह चेतना सत्र का आयोजन किया गया | चेतना सत्र के बाद प्रशिक्षण का प्रथम सत्र आरम्भ किया गया | सदन में व्याख्याता के रूप विद्यानंद सर का आगमन होता है और उनके द्वारा बिहार में शिक्षा के स्वरूप को दर्शाया गया -

I   II    III    IV    V
VI                       VIII
अवर प्राथमिक
उच्चतर प्राथमिक


VIII    IX   X   XI
XII
अवर माध्यमिक
पूर्व विश्वविद्यालय / प्राक डिग्री



VIII
IX   X   XI   XII
उच्चतर माध्यमिक


1
2
3
बी. ए.
बी. एस. एसी.
बी. कॉम
इन स्वरूपों पर चर्चा के दौरान मैकाले की नीति की जैसे ही चर्चा आयी, एक प्रशिक्षु ने मैकाले की नीति का समर्थन करते हुए अंग्रेजी भाषा को हिंदी, संस्कृत से बेहतर बताया | और कहा कि भारत बिना अंग्रेजी के आगे नहीं बढ सकता | इस पर सदन में मौजूद अन्य प्रशिक्षु ने उनकी बातों का खंडन करते हुए हिंदी को बेहतर बताया तथा बिना अंग्रेजी के भी देश के विकास होने की बात कही | और कहा कि चुकि अंग्रेजी भाषा काफी सरल और विश्वव्यापी रूप से संपर्क करने का माध्यम है, इसलिए अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक है | इस debet वाले माहौल में विद्यानंद सर का प्रशिक्षण समाप्त होता है और सदन में बालदेव सर का आगमन होता है और उनके द्वारा सर्वप्रथम प्रशिक्षुओं से स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात के विभिन्न आयोगों के बारे में पूछा गया जिस पर सदन से प्रशिक्षुओं ने इनका जबाब दिया | इसके बाद समाजीकरण के उद्देश्य पर चर्चा की गई | जिसमे निम्न दो उद्देश्य को महत्वपूर्ण माना गया -
1.प्रतिरोध के लिए शिक्षा
2. समझौता/समर्पण के लिए शिक्षा

इन दोनों उद्देश्यों की चर्चा के क्रम में यह सामने आया कि विद्यालय समाज के अनुकूल होते है, बल्कि समाज को भी अनुकूल बनाने का कार्य करते हैं | यदि कोई समाज Negative Socialaztion की ओर जा रहा होता है तो विद्यालय उसकी नकारामकता को दूर करने का भी कार्य करता है | ये भी सामने आया कि एक व्यक्ति समाज को प्रभावित करता है और समाज भी व्यक्ति को प्रभावित करता है और सबसे बड़ा कौशल - निर्णय लेने का कौशल होता है | इसके साथ प्रथम सत्र का प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है |

मध्याहन के बाद द्वितीय सत्र का आरम्भ होता है और सदन में व्याख्याता के रूप में परशुराम सर का आगमन होता है और उनके द्वारा गणित का शिक्षण सत्र विषयवस्तु का प्रशिक्षण आरम्भ करते हुए एक मजेदार गणित की कहानी बताई जाती है | जिसमे 28 रूपये के किराए की जगह 91 रूपये वसूला जाता है | लेकिन इस किराये के जोड़-घटाव, गुना और भाग को इस तरह तोड़-मरोड़ के पेश किया जाता है कि सभी हलात में जोड़ 28 ही होता है | जिससे यह स्पष्ट होता है कि यदि गणतीय संक्रियाएँ सही तरीके से न हो, तो वह काफी कठिन हो जाता है और यदि संक्रियाएँ सही तरीके से हो तो यह काफी सरल हो जाता है | इसके बाद गणित सिखाने के प्रक्रिया के बारे में सदन के एक प्रशिक्षु द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर यह सामने आता है कि छोटी कक्षाओं में गणित सिखाने की उपयुक्त विधि खेल विधि है और फिर विश्लेषण विधि, आगमन-निगमन विधि, अनुसन्धान विधि है |


इसके बाद आज का प्रशिक्षण समाप्त हो गया |

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