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सार - 21.07.2017

दिनांक - 21.07.2017
दिन - शुक्रवार
स्थान - डायट परिसर शेखपुरा


काले बादलों एवं सावन के माह में रिमझिम बारिश के बीच शुक्रवार को चेतना सत्र का आयोजन किया गया | चेतना सत्र के आयोजन के बाद प्रशिक्षण का प्रथम सत्र आरम्भ होता है | व्याख्याता के रूप में महेश सर का सदन में आगमन होता है | सर्वप्रथम हम सभी प्रशिक्षुओं के सामने आज का विचार रखा जाता है -
"श्रेष्ठ शिक्षा वह नहीं जो केवल हमे जानकारी दे

सच्ची शिक्षा वह है जो हमारे जीवन और वातावरण में समांजस स्थापित करे ।|"
                        -: रवीन्द्रनाथ टैगोर :-
इस पर सभी प्रशिक्षुओं द्वारा अपने-अपने विचार रखे जाते हैं |  इसके बाद महेश सर द्वारा "भाषा और शिक्षा" विषय को आगे बढ़ाते हुए भाषा की नियमबद्ध व्यवस्था पर चर्चा की जाती है | इस दरमियान एक वाक्य के विभिन्न भाषाओँ में रूपांतरण से हमलोगों को अवगत कराया जाता है |
अंगिका - हम घर जाय छी ।

मगही  - हम घर जा रहली है ।

हिन्दी - मै घर जाता हूँ ।

भोजपुरी - हम घर जात बानी।

मैथली - हम घर जा रहल  छी ।

बंगला - आमि बाड़ी जावे।

अंग्रेजी - I go home.

संस्कृत - अहम् गृहम् गच्छामि।

इसके बाद महेश सर ने अंग प्रदेश की कहानी बताई जाती है | उनके द्वारा बताया जाता है कि अंग प्रदेश बिहार के किस क्षेत्र में है तथा यह क्षेत्र किन में द्वारा बनाया गया था | प्रशिक्षण का प्रथम सत्र सुचारू रूप से चल ही रहा था कि अचानक हमारे व्याख्याता सच्चिदानंद सर की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण प्रशिक्षण को तत्काल स्थगित कर दिया जाता है | सभी व्याख्याता एवं प्रशिक्षु तुरंत उनके पास चले जाते हैं और उनको इलाज के नजदीकी अस्पताल ले जाया जाता है | जहाँ उनकी हालत सामान्य होने पर आज के प्रशिक्षण सत्र को समाप्त किया जाता है |
व्याख्याता महोदय के तबीयत शीघ्र ठीक होने के लिए हम सभी प्रशिक्षु ईश्वर से कामना करते है |


-: GET WELL SOON SIR :-
All Trainee of DIET, Sheikhpura

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