Header Ads

सार - 13.07.2017

दिनांक - 13.07.2017
दिन - गुरुवार
स्थान - डायट शेखपुरा



प्रतिदिन की भांति गुरुवार को चेतना सत्र के पश्चात कक्षा प्रारंभ हुआ | व्याख्यता के रूप में संजीव सर ने आज कक्षा का आरम्भ किया | और आज का विषय था 'शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009'

इस विषय सदन में मौजूद प्रशिक्षुओं ने अपनी-अपनी बातें रखी | जिसके बाद यह सामने आया कि छह से चौदह वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम है |

इसके बाद संजीव सर के द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के बारे में हमें नोट्स के रूप में लिखाया गया कि - शिक्षा के अधिकार अधिनियम भारतीय बच्चों के लिए एक एतिहासिक एवं युगानकारी घटना है | भारतीय इतिहास में प्रथम बार राज्य द्वारा परिवार एवं समुदाय की सहायता से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा के अधिकार के प्रति आशान्वित किया गया |
भारतीय संविधान के चौथे अध्याय में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के अनुच्छेद 45 में शिक्षा सम्बन्धी उपबंध थे | किन्तु यह सिद्धांत कानून के द्वारा बाध्यकारी नहीं है |

6 से 14 वर्ष के बीच की आयु के सभी बच्चे को निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के मूल अधिकार के अध्याय 3 में अनुच्छेद 21(A) के रूप में सरकार भारतीय इतिहास में पहली बार इस अधिकार को बाध्यकारी/परिवर्तनीय बना दिया गया |

यह विधेयक केन्द्रीय मंत्रिमंडल के द्वारा 2 जुलाई 2009 को स्वीकृत हुआ | राजसभा ने विधेयक 20 जुलाई 2009 को और लोक सभा ने 4 अगस्त 2009 को पारित किया | इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम के कानून के रूप में 3 सितम्बर 2009 को अधिसूचित हुआ और 1 अप्रैल 2010 को यह कानून जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर पुरे भारत में लागु हो गया |

इसके बाद इस अधिनियम के आठ भागों एवं मुख्य प्रावधानों की भी जानकारी दी गयी | इसके बाद मध्याहन का समय हो जाता है |

मध्याहन के पश्चात पुनः संजीव सर के द्वारा कक्षा का संचालन आरम्भ किया | और अबकी बार विषय थी भाषा |
जिसमे ACTIVITY के माध्यम से बच्चों को सिखाने के बारे में बताया गया और पहली ACTIVITY के रूप में हमारे सामने एक शब्द आया "रबडागडम"
और इस शब्द का अर्थ बताने को कहा गया, पर हम सभी प्रशिक्षुओं ने इसे निरर्थक शब्द कहा,
इसके बाद एक इसी शब्द से जुड़ा एक वाकया हमारे सामने आया -
"आज बहुत उदास है"
इस वाक्य के आने के बाद प्रशिक्षुओं ने इसे किसी व्यक्ति या पशु, पक्षी का नाम कहा |
इसके बाद इससे जुड़ा अगला वाक्य हमारे सामने आया -
"क्योंकि उसके मालिक ने उसे बहुत मारा"
इसके बाद प्रशिक्षुओं ने उक्त शब्द को नौकर, कुत्ता, घोडा, गधा आदि कहा |
इसके बाद जैसे ही अंतिम वाक्य सामने आया शब्द का अर्थ हमारे समझ में आ गया | वाक्य था -
"वह जेल तोड़कर भाग गया उर गली के दूसरे कुत्तों के साथ भौकने लगा |
यानी उक्त शब्द का अर्थ था - कुत्ता

इसी तरह की एक दूसरी ACTIVITY कराई गयी -

कुछ अक्षर श्यामपट्ट पर लिखे गए -

स नि इ [ को दु त ना या ज दी
हो ब ल दे जि ल् चा ए नी द

इसे दो मिनट के बाद मिटा कर हमें फिर से बोलने को कहा गया, जो हम सभी प्रशिक्षुओं के लिए असंभव कार्य था | इसके बाद इन अक्षरों से एक सार्थक वाक्य बनाने को कहा गया | जिस पर सभी प्रशिक्षुओं ने काफी प्रयास किया अपने-अपने वाक्य को सदन के सामने रखा | लेकिन जब सही वाक्य हमारे सामने आया तो वह काफी सरल एवं सार्थक था - इस दुनिया को जितना जल्दी हो बदल देना चाहिए |

इस activity से यह पाता चला कि अगर अक्षर क्रम में ना हो तो वाक्य बनाने में काफी परेशानी होती है |

इसके बाद परशुराम सर के द्वारा परिवेश पर चर्चा की गयी | सभी प्रशिक्षुओं ने इस पर अपनी-अपनी राय रखी | अंत में एक प्रश्न हम सभी प्रशिक्षुओं को दिया गया - "बच्चे के अधिगम में परिवेश का क्या महत्व है ?"
इसके साथ ही आज का कक्षा समाप्त हुआ |

No comments

Powered by Blogger.