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सार-12.07.2017

दिनांक-12.07.2017
दिन-बुधवार
परिसर-डायट शेखपुरा |



प्रतिदिन की भांति चेतना सत्र के पश्चात कक्षा का संचालन आरम्भ हुआ | व्याख्याता के रूप में पहुंचे महेश सर ने कक्षा का आरंभ किया और सबसे पहले हम सभी प्रशिक्षुओं के बीच आज का विचार आया |
"शिक्षा सबसे अच्छा मित्र है | शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है |
                                                                                                    -चाणक्य-

इस विचार पर बारी-बारी से सभी प्रशिक्षुओं ने अपनी-अपनी राय रखी | इसके बाद व्याख्याता महोदय द्वारा तुलसीदास के एक दोहे का व्याख्यान किया गया | दोहा था -
उत्तम मध्यम नीच गति, पाहन सिकता पानी |
प्रीती परीक्षा तिहुन की, वैर वीतिक्रम जानी |

अर्थात उत्तम प्रवृति के लोग पहाड पर खींची गई लकीर की तरह होते हैं, जो कभी नहीं मिटते | मध्यम प्रवत्ति के लोग बालू की तरह होते हैं, जो समय के साथ मिट जाते हैं और नीच प्रवृत्ति के लोग पानी की तरह होते हैं, जो तुरंत मिट जाते हैं | लेकिन वैर के क्रम में यह सारी बातें उलटी हो जाती है |

नोट- पाहन का अर्थ पहाड, सिकता का अर्थ बालू एवं पानी का अर्थ जल |

इसके बाद कक्षा में द्वितीय वर्ष के एक प्रशिक्षु का आगमन होता है और उनके द्वारा भाषा और शिक्षा विषय पर परिचर्चा शुरू की जाती है |
और सबसे पहला प्रश्न सामने आता है - भाषा क्या है ?

सदन के सभी प्रशिक्षुओं द्वारा अपनी-अपनी बात रखकर इसकी की परिभाषा स्पष्ट करने का प्रयास किया जाता है और अंततः इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि " लिखकर, बोलकर या सांकेतिक माध्यम से विचारों एवं भावों के आदान-प्रदान को ही भाषा कहा जाता है |"

लेकिन इस परिचर्चा के बाद एक प्रश्न सदन का माहौल को बिगाड़ देता है | प्रश्न था "कलम को कलम क्यों कहा गया ?" जिसके बाद सदन में हंगामे का माहौल बन जाता है |

माहौल को शांत करने एवं उत्सुक बनाए के लिए महेश सर के द्वारा एक कविता एवं शायरी के माध्यम से सदन को माहौल को वापस विषयवस्तु पर लाने का प्रयास किया जाता है |
 "बड़ी धूम से सजकर मेरा जनाजा निकला, जनाजे के पीछे सारा जमाना निकला |
पर वो न निकली, जिसके लिए मेरा जनाजा निकला |"

इसी शायरी के शब्दों में छेडछाड कर नया शायरी भी हमें सुनने को मिला

"बढ़ी धूम से सजकर मेरी जानाना निकली, उसके पीछे सारा जामाना निकला
पर वो न निकला, जिसके लिए मेरी जानाना निकली |"

इस शायरी के बाद सदन का माहौल शांत हुआ फिर विषयवस्तु पर आते हुए CRC, BRC, DIET, SCERT, NCERT, PTECT, BITE, CTC आदि के फुल फॉर्म के साथ बिहार में इनकी संख्या की जानकारी दी गयी |

इसी बीच पुनः एक प्रश्न हमारे सामने आया | प्रश्न था जल और नीर में अंतर क्या है ? तुरंत ही सदन के एक प्रशिक्षु के द्वारा इसका जबाब आया  कि - दैनिक जीवन में हम पानी पीते है और जब देवता को उसे चढाते हैं तो वह जल बन जाता है और देवता पर चढ़ने के बाद जल ही नीर बन जाता है |

मध्याहन के समय होते देख हमें गृह कार्य के रूप में एक प्रश्न दिया गया - आपके शैक्षिक जीवन में किस शिक्षक का विशेष महत्व है और क्यों ?

इसके बाद मध्याहन हो जाता है | मध्याहन के बाद व्याख्याता परशुराम सर द्वारा पर्यावरण अध्ययन विषय का पाठन आरम्भ होता है | जिसमे पारिस्थितिकी, मानव स्वास्थ्य एवं वानिकी पर सभी प्रशिक्षुओं के साथ परिचर्चा की जाती है | इसके बाद जैव प्रोद्योगिकी पर भी चर्चा की जाती है जिसमे सदन के प्रशिक्षुओं द्वारा अपने-अपने बातों को रखा जाता है | इसके बात कक्षा की समाप्ति होती है |

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